हीर तुम थी, रांझा मै बन न सका।
शीरी तुम थी, फरहाद मै बन न सका।
लैला तुम थी, मँजनू मै बन न सका।
सोहनी तुम थी, महिवाल मै बन न सका।
मुहब्बत तो की थी तुमसे, इजहार कर न सका।
मर भी जाउँ गर तो क्या, तेरे प्यार में था, हूँ और रहूँगा।
हीर तुम थी, रांझा मै बन न सका।
शीरी तुम थी, फरहाद मै बन न सका।
लैला तुम थी, मँजनू मै बन न सका।
सोहनी तुम थी, महिवाल मै बन न सका।
मुहब्बत तो की थी तुमसे, इजहार कर न सका।
मर भी जाउँ गर तो क्या, तेरे प्यार में था, हूँ और रहूँगा।
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