क्षमा वीरस्य भूषणम

क्षमा वीरस्य भूषणम 1

क्षमा वीरस्य भूषणम

छोटा सा यह संसार, गलती हो जाती है कई बार।
कर लो स्वीकार, करते हैं क्षमा याचना बार-बार॥

जान कर या अनजाने मे, मन से, वचन से या कार्यों से, ज्ञात या अज्ञात भूल हो जाना स्वाभाविक है। आत्म शुद्धि के इस पावन पर्व क्षमावाणी दिवस पर आप सभी से विनयपूर्वक क्षमा याचना करता हूँ।

10 thoughts on “क्षमा वीरस्य भूषणम

  1. क्षमायाचन के लिये वीरता की उतनी जरूरत नही है जितनी क्षमा प्रदान करने के लिये।

  2. क्षमा शोभती उस भुजन्ग को, जिसके पास गरल हो.
    उसको क्या जो दन्तहीन् विषहीन, विनीत, सरल हो.

    (क्षमा करना उसी सर्प को शोभा देता है, जिसके पास विष हो. विषहीन सर्प किसी को क्या क्षमा करेगा? )

  3. क्षमा करना बहुत ही कठिन कार्य है । मैंने कई बार स्वयं को इस महानता से वंचित रखा है ।

    1. प्रवीण जी, क्षमा करना कठिन जरूर हो सकता है, असम्भव नही.

  4. क्षमा करना बहुत ही कठिन कार्य है । मैंने कई बार स्वयं को इस महानता से वंचित रखा है ।

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