छोटा सा यह संसार, गलती हो जाती है कई बार।
कर लो स्वीकार, करते हैं क्षमा याचना बार-बार॥
जान कर या अनजाने मे, मन से, वचन से या कार्यों से, ज्ञात या अज्ञात भूल हो जाना स्वाभाविक है। आत्म शुद्धि के इस पावन पर्व क्षमावाणी दिवस पर आप सभी से विनयपूर्वक क्षमा याचना करता हूँ।
September 6, 2009 at 12:11
क्षमायाचन वास्तव मेँ बड़ी वीरता से ही आता है!
September 6, 2009 at 15:51
क्षमायाचन के लिये वीरता की उतनी जरूरत नही है जितनी क्षमा प्रदान करने के लिये।
September 7, 2009 at 23:35
@ Gyan ji, Rita ji, धन्यवाद।
January 10, 2010 at 10:57
क्षमा शोभती उस भुजन्ग को, जिसके पास गरल हो.
उसको क्या जो दन्तहीन् विषहीन, विनीत, सरल हो.
(क्षमा करना उसी सर्प को शोभा देता है, जिसके पास विष हो. विषहीन सर्प किसी को क्या क्षमा करेगा? )
March 4, 2010 at 17:32
क्षमा करना बहुत ही कठिन कार्य है । मैंने कई बार स्वयं को इस महानता से वंचित रखा है ।
March 13, 2010 at 16:32
प्रवीण जी, क्षमा करना कठिन जरूर हो सकता है, असम्भव नही.
April 9, 2011 at 13:36
sahi bole bhaiya
February 9, 2011 at 21:21
क्षमा करना बहुत ही कठिन कार्य है । मैंने कई बार स्वयं को इस महानता से वंचित रखा है ।
December 21, 2013 at 13:12
Chama mangna Kayaro ka kam nhi h,usko mangne ki liye sbse jyda himmat jutani padti h..
February 21, 2014 at 11:46
sahi kahan apne