यों तो नारी सशक्तीकरण का नारा हर राजनेता, राजनीतिक पार्टी और समाज सुधारक लगाता है, लेकिन इसका सजीव उदाहरण हमें गुजरात में देखने को मिलता है।
ऐसा बिलकुल नही है कि आज मेरे उपर Vibrant Gujarat का रंग चढा हुआ है या मै नरेन्द्र मोदी का चाहने वाला हूँ। नारी सशक्तीकरण की दिशा में गुजरात मे राजनीतिक ईच्छा शक्ति की हालत का मुझे पता नही है। मेरे हिसाब से गुजरात की सशक्त नारी के पीछे है वहाँ का सामाजिक परिवेश।
गुजरात एक ऐसा राज्य है जहाँ से काफी पुरूष काम काज के सिलसिले में विदेश चले जाते हैं। मजबुरन औरतों को घर से बाहर कदम निकालना पडता है, कभी बच्चों के लिये तो कभी घर के दैनिक काम-काज के लिये। धीरे-धीरे उनका आत्मविशवास और स्वाभिमान बढने लगता है। ऐसा कई दशको से चल रहा है। फलतः आज गुजराती औरतो में आत्मविशवास, स्वावलंबन और स्वाभिमान कुट-कुट कर भरा है। इसके कई उदाहरण मुझे अपने अनगिनत वडोदरा प्रवासों के दौरान देखने को मिले।
इस विषय पर आपकी राय जानने की उत्सुकता है।
January 18, 2009 at 11:10
हमारी राय यह है:
पुरूष काम काज के सिलसिले में विदेश चले जाते हैं….
पुरूष राजस्थान के भी जाते है और बिहार के भी….बात वह है ही नहीं, गुजराती महिलाएं पुरूषों से ज्यादा उर्जावान होती है. नैतृत्व ले सकती है. यह सदियों से है.
January 18, 2009 at 21:22
बिलकुल सही संजय भाई, लिखने के प्रवाह मे यह बात “सरस्वती” की तरह मेरे दिमाग से विलुप्त हो गयी थी।
January 19, 2009 at 00:19
बहुत सुंदर…आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
January 19, 2009 at 10:14
सही कह रहे हैं आप… मेरा भी मानना है गुजराती महिलाएं सही मायनों में स्वतंत्र व सशक्त हैं। सामाजिक ताने बाने को सजीव रखते हुए और उसको और अधिक सशक्त बनाने के प्रयास करती हुईं। मैंने देखा है वहां माहौल जितना पारम्परिक है उतना ही व्यावहारिक भी। दकियानूसी बातों को परम्परा का हिस्सा नहीं बनने दिया इन महिलाओं ने वहां के समाज में…और यही वजह है कि वे सच्चे अर्थों में सशक्तता के मायने खोज कर उसे जी पा रही हैं। आखिर परम्परा की सबसे सशक्त वाहक समाज की महिलाएं ही तो होती हैं ना…
January 19, 2009 at 11:20
हिंदी ब्लॉगजगत में आपका हार्दिक स्वागत है .
आपकी लेखनी सदैव गतिमान रहे …..
मेरी शुभकामनाएं ……
September 30, 2013 at 20:29
Hi,
yah sahi h ki mahila bhi kafi mehnati hoti h, per uska asser tab dikhta h jab vah gher se bahar jake kam kare…
thanks
September 30, 2013 at 20:38
आपकी बात से सहमति है, नवीन.
February 21, 2014 at 11:37
Sahi kahan aapne
January 19, 2009 at 11:56
Gujratiyon ki icchashakti ki to kai misalein maujood hain, chahe wo Purush hon ya Stri.
(gandhivichar.blogspot.com)
January 19, 2009 at 14:11
@abhishek जी, पुरूष शक्ति की बात हम इसलिये नही करते, क्योंकि भारतीय समाज का ताना-बाना ही पुरूष प्रधान है।
@jyotsna जी, sangeeta जी उत्साह वर्धन के लिये साधुवाद।
@tarushree जी, आपकी बातो से पुर्णतया सहमति है।
January 19, 2009 at 18:10
बहुत अच्छा! सुंदर लेखन के साथ चिट्ठों की दुनिया में स्वागत है। चिट्ठाजगत से जुडऩे के बाद मैंने खुद को हमेशा खुद को जिज्ञासु पाया। चिट्ठा के उन दोस्तों से मिलने की तलब, जो अपने लेखन से रू-ब-रू होने का मौका दे रहे हैं एक तलब का एहसास हुआ। आप भी इस विशाल सागर शब्दों के खूब गोते लगाएं। मिलते रहेंगे। शुभकामनाएं।
January 19, 2009 at 21:17
पुरुष कामकाज के लिये तो बिहार से भी जाते हैं। वहां वीमेने एम्पावरमेण्ट क्या है? ठेंगा!
January 20, 2009 at 21:26
@ gyan जी, बिहार और उत्तर प्रदेश मे वीमेन एम्पावरमेण्ट एक सपने जैसा है।
February 21, 2014 at 11:42
ji ha bilkul, UP me women empowerment thenga hi hai, yahan log iska matlab bhi nahi jante, apne dakiyanushi wicharo ke saath lipte hue hai, sahi galat ka koi phark nahi
January 19, 2009 at 22:57
बेगाणी जी से हम भी सहमत है
October 21, 2009 at 13:41
Kindly send some articales on Women Empowerment in Hindi
August 1, 2014 at 12:21
kya gujarat alliens ki duniya hai gujarat bhi to U.P aur bihar ki tarah hamare desh ka ek pradesh he. kya gujarat me janam se hi women empowerment ko sab samajh gye the. kisi bhi pradesh ke ya desh ke samaj me reform na to asani se laya ja skta he na jaldi se samajh me ata hai, kuch time lagta hai but yeh nhi keh skte ki yeh ek sapne jaisa hai.
December 6, 2014 at 09:42
HI MAI BHEE SAHEMAT HUI.