Hijra ki Raateइशक भी अज़ीब शै है, सिर पर चढ कर बोलता है।
तन्हाई भरी रातों में दिल को टटोलता है।।

मेरी हिज्र की ये रातें, काटे नही कटती उनकी याद में।
अपनी कहानी किससे कहूँ, सबके दिल में एक शूल है।।

ना कोई दोस्त ना कोई रकीब है, जिंदगी बडी अज़ीब है।
गले उनको कैसे लगाऊँ, दिल तो तन्हाई का मुरीद है।।