वक्त के थपेड़े सहे हैँ इतने।
डर अब किसी और का नहीं।।
सफर किये हैं बेमंज़िल इतने।
खुशी अब मंजिल मिलने की नहीं।।
चाहा था किसी को शिद्दत से इतना।
चाहत अब किसी और की नहीं।।
जिंदगी से लड़े हैं इतना।
गम अब मौत का नही।।
वक्त के थपेड़े सहे हैँ इतने।
डर अब किसी और का नहीं।।
सफर किये हैं बेमंज़िल इतने।
खुशी अब मंजिल मिलने की नहीं।।
चाहा था किसी को शिद्दत से इतना।
चाहत अब किसी और की नहीं।।
जिंदगी से लड़े हैं इतना।
गम अब मौत का नही।।
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