मांझी

मांझी 1

Maanjhi - Sailor of Lifeसोचा था कि कयामत तक उनका साथ होगा,

मोहब्बत के इस जहां में अपना भी एक आशियाँ होगा।

लेकिन हमको मालुम ना था कि कोई साथ नही देता,

बीच लहरों में मांझी भी छोड़ जाता है॥

******

आदमी तो हम भी काम के थे, ख़ुद क़ो निकम्मा बना डाला।

दुहाई देते थे हम वफा की, उनकी यादों को हमने ही मिटा डाला॥

******

ना दोस्त बन सके तुम, ना रकीब बन सके हम।

मिले थे कभी तकदीर से, तो फिर क्यों आज भी तुम्हारा इंतजार है॥

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *