मशहूर लेखक, शिक्षाविद्, मैनेजमेंट गुरू एवं प्रेरक शिव खेड़ा ने हाल ही मे एक नई राजनीतिक पार्टी का गठन किया है। इस पार्टी का नाम रखा गया है भारतीय राष्ट्रवादी समानता पार्टी। इनकी पार्टी की मुहिम जाति एवं धर्म के नाम पर आरक्षण के खिलाफ है। यों भी शिव पिछले लोकसभा चुनावों मे दक्षिण दिल्ली क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप मे चुनाव लड़ चुके हैं। उन्हे उस समय मात्र 4832 वोट (कुल मतदान का 1.01 प्रतिशत) पाकर तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था। उस मतदान मे पहले एवं दूसरे स्थान पर रहे उम्मीदवारों को क्रमश 240654 तथा 224649 वोट मिले थे।
अपनी अच्छी – भली चलती दुकान की कीमत पर राजनीति मे उतरना अपनी समझ मे नही आता। एक पत्रकार मित्र ने यही सवाल शिव से पूछा था तो जवाब मिला की देश को सुधारने के लिये किसी को तो आगे आना पड़ेगा। लगता है वह यह भूल गये है कि भारत जैसे देश मे संसद मे बैठकर जो नही किया जा सकता है वो संसद के बाहर से आराम से हो सकता है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को आदर्श मानने वाले शिव खेड़ा को हाल ही मे हुए ग़ुज़र आन्दोलन नेता “बैंसला” से इस बारे मे कुछ सीख लेने की जरूरत है। डर यह है कि शिव की हालत “चौबे जी गये छब्बे जी बनने, दुबे जी बनकर रह गये” जैसी ना हो जाये।
August 1, 2008 at 01:19
देर से ही सही
आये तो हिन्दी जगत पर
स्वागतम्
August 1, 2008 at 01:31
सुन्दर और विचारात्मक लेख। स्वागत है आपका।
August 1, 2008 at 04:03
हिन्दी चिट्ठा.जगत में आपका स्वागत है। अपनी अच्छी – भली चलती दुकान की कीमत पर शिव खेड़ा का राजनीति मे उतरना हमारी समझ मे भी नहीं आ रहा।
August 1, 2008 at 14:47
नए ब्लॉग की बधाई, लिखते रहें और हिन्दी चिट्टा जगत को और समृद्ध करें….
सस्नेह –
सजीव सारथी
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