Kayamat ki Aarjooकायनात मेरी रकीब तो नहीं।

फिर मुझे कयामत की आरजू क्यों है।।

मेरे नशेमन से उनकी रूखसत अब तलक याद है।

आँखों में अश्क नहीं, फिर लबों पे मुस्कान क्यों है।।

कयामत तक साथ रहने का, वादा उनका मुझे अब तलक याद है।

क्यों कर बेवफा करार दूँ उन्हें, वो ना सही उनकी याद तो साथ है।।