heart saysकयामत की आरजू Ajay Kumar Jain10 years ago10 years ago01 mins कायनात मेरी रकीब तो नहीं। फिर मुझे कयामत की आरजू क्यों है।। मेरे नशेमन से उनकी रूखसत अब तलक याद है। आँखों में अश्क नहीं, फिर लबों पे मुस्कान क्यों है।। कयामत तक साथ रहने का, वादा उनका मुझे अब तलक याद है। क्यों कर बेवफा करार दूँ उन्हें, वो ना सही उनकी याद तो साथ है।। Post navigation Previous: ए तन्हाई तुझे क्या हुआNext: ना कोई दोस्त ना कोई रकीब Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Δ