जब से मैंने खुदा से मौत की ख्वाहिश की है।
मेरी तन्हाई भी मुझसे ख़फ़ा ख़फा सी रहती है।
महबूब के बाद तन्हाई ही मेरी हमसफर थी।
जाने अब मौत आने तलक उम्र गुज़रेगी कैसे।