तेरी रूह ने कुछ इस कदर छुआ मेरे दिल को। धड़कने संभाले नहीं संभलती हैं।। तेरे दीदार का कुछ हुआ असर ऐसा। मेरा अक्स भी अब तेरा मुरीद हो गया है।। तेरे इश्क में जमाने से की है बगावत। मेरा वजूद भी तेरे सिवा किसी और की इबादत नही करता।।
इबादत
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				इबादत
			
 इबादत
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			तेरी रूह ने कुछ इस कदर छुआ मेरे दिल को। धड़कने संभाले नहीं संभलती हैं।। तेरे दीदार का कुछ हुआ असर ऐसा। मेरा अक्स भी अब तेरा मुरीद हो गया है।। तेरे इश्क में जमाने से की है बगावत। मेरा वजूद भी तेरे सिवा किसी और की इबादत नही करता।।