जब से दीदार हुआ तेरा। मयकदे की तरफ कदम नहीं उठते।। जब से सुनी तेरी हँसी की आवाज़। महफिलों की तरफ कदम नहीं उठते।। जब से मोहब्बत हुई तुमसे। इबादतगाह की तरफ कदम नहीं उठते।। जब से हुई तुझे अपना बनाने की चाहत। अपने जनाजे की तरफ कदम नहीं उठते।।
कदम नहीं उठते
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