गमों की इस बरसात का क्या करूं l जुदाई की इस आग का क्या करूं।। मिटा तो दूं खुद की हस्ती। लेकिन तेरी यादों का क्या करूं।।
क्या करूं

गमों की इस बरसात का क्या करूं l जुदाई की इस आग का क्या करूं।। मिटा तो दूं खुद की हस्ती। लेकिन तेरी यादों का क्या करूं।।