तेरी यादों का पुलिंदा बांध कर रखा है, दिल के एक कोने में। हर रात को खोलकर इसकी गांठ, फिर से तह लगाता हूं हर लम्हे की।। अब तो मेरा तकिया भी शिकायत नही करता तेरी जुदाई की। आँखों की बारिश में हर लम्हा भीगने की उसको आदत जो हो गई है।।
लम्हा

तेरी यादों का पुलिंदा बांध कर रखा है, दिल के एक कोने में। हर रात को खोलकर इसकी गांठ, फिर से तह लगाता हूं हर लम्हे की।। अब तो मेरा तकिया भी शिकायत नही करता तेरी जुदाई की। आँखों की बारिश में हर लम्हा भीगने की उसको आदत जो हो गई है।।