समझ न पाएं
वो उठती-गिरती पलकें तेरी, इनकी भाषा पढ़ न पाएं हम। प्रेम की मौन स्वीकृति तेरी, इसको समझ न पाएं हम।।
वो उठती-गिरती पलकें तेरी, इनकी भाषा पढ़ न पाएं हम। प्रेम की मौन स्वीकृति तेरी, इसको समझ न पाएं हम।।
नज़रों से पिला दे साकी तो होश आ जाए। दीदार-ए-यार क्या हुआ, होश खो बैठे हम।।
तुमने हमें मुकम्मल न होने दिया। तुम्हारी यादो ने हमें अकेला न होने दिया।। फरियाद करें किससे इस भीड़ में। मुहब्बत ने किसी को होश में रहने ना दिया।।
नदी के जिस किनारे मिले थे हम। दिल मेरा वहीं आज भी है।। गम नहीं गर ना आ पाओ तुम कभी सामने। तुम्हारी यादों का साया साथ आज भी है।।
तेरा चेहरा आज भी नज़रों के सामने है। बस आँसुओ से कुछ धुंधला सा गया है।। तेरी खुशबु आज भी जहन में है। बस वक्त बीतने से कुछ धुंधला सी गई है।। तेरा प्यार आज भी दिल में है। बस ग़मों से कुछ धुंधला सा गया है।। तेरी याद आज भी धड़कनो में है। बस…