तन्हा दुल्हन

मेरे आगोश में सिमट सी जाती है। नम पलकों से कुछ कह सी जाती है।। हौले हौले गीत जुदाई के गुनगुनाती है। हर रात मेरी तन्हाई दुल्हन सी सज जाती है।

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बेवफा

दूरियां इतनी तो नहीं कि तुम्हे भूल जाऊँ। गम इतने तो नहीं कि हँसना भूल जाऊँ।। अब नज़रे उठती नहीं तेरे कूचे से गुजरते हुए। बेवफा इतना तो नहीं कि किसी और से प्यार कर पाऊँ।।

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भूल जाऊँ तुझे…

भूल जाऊँ तुझे कैसे। जिंदगी के हर लम्हे में तेरी याद जो है।। याद न कर पाऊं तुझे कैसे। साँसों के हर कतरे में तेरा नाम जो है।। सफर अधूरा छोड़ जाऊं कैसे। मंजिल न सही, रास्ते का सहारा तू जो है।। ग़मों में खो जाऊँ कैसे। अंधेरों में भी तेरी तस्वीर की लौ जो…

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