17-जुलाई-2008, सुबह 4.30 बजे, जयपुर बस अड्डे पर उतरा। यों तो पहले भी तीन-चार बार जयपुर आगमन हुआ है, लेकिन यह पहली बार था जबकि काम के सिलसिले मे यहॉ आया था। असल मे इंडिया गेट न्यूज वाले अजय सेतिया जी के मित्र जगदीश जी एक साईट “राजस्थान ग्लोबल” के नाम से बनवाना चाह रहे थे। इस सिलसिले में दिल्ली में हमारी मीटिंग भी हो चुकी थी। अब साईट के अंतिम स्वरुप पर चर्चा होनी थी। जगदीश जी काफी सीनियर पत्रकार है और राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर तथा अन्य कई बडे संस्थानो के साथ जुडे रहे हैं।
जयपुर पहुँच कर पहले जगदीश जी के साथ यशवंत जी से मिलने गये। यशवंत जी दैनिक भास्कर समुह द्वारा प्रकाशित “अहा जिन्दगी” पत्रिका के संपादक है। ऐसी सहज, सुलझी और शांत स्वभाव शख्शियत से मिलना और करीब दो घंटे उनके साथ बिताना अपने आप मे एक अनुभव है। वहाँ से निकले तो थोडा पेट मे हलचल होने लगी थी। जगदीश जी ने बोलने का मौका दिये बिना ही एक अच्छे से शाकाहारी रेस्त्रां के सामने गाडी खडी कर दी। वहाँ पर राजस्थानी खाने का स्वाद ले कर “पिंक सिटी प्रेस क्लब” गये। जगदीश जी “पिंक सिटी प्रेस क्लब” के फाउंडर मेंबर भी है। शाम को जगदीश जी ने दो-तीन लोगो से मुलाकात करवानी थी। तब तक कोई काम ना था। मन हुआ कि सांगानेर जैन मन्दिर चला जाय। जगदीश जी की अनुमति से उनकी गाडी और छोटे भाई को साथ ले, पहुँच गया सांगानेर। दर्शन कर वापस जगदीश जी के पास। बाकी लोगो से मुलाकात हुई। फिर रात को बस पकड वापस दिल्ली।
वैसे तो कुछ व्यक्तिगत कारणों से “राजस्थान ग्लोबल” का काम मै पुरा नही कर पाया, लेकिन जयपुर की इस यात्रा में जगदीश जी के आथित्य भाव और यशवंत जी के सरल स्वभाव ने मन मोह लिया। पहले मेरे दिमाग मे एक सोच थी कि सिर्फ दिल्ली में ही गाडी चलाने वाले ट्रैफिक नियमों की अवहेलना करते है। लेकिन अपनी इस जयपुर यात्रा के बाद मेरा विचार बदल गया था। वही रेड लाइट जंप करना, वही ज़ेब्रा क्रासिंग पर गाडी खडी करना या फिर गलत साइड से ओवरटेक करना, कुछ भी तो अलग नही। दिल ने कहा – ज्यादा ना सोच बच्चे, दिल्ली हो या जयपुर, गाडी तो हम ईंसान ही चलाते हैं, इसलिये हमारा Traffic Sense भी एक सा ही है।
लगता है ट्रेफिक सेंस के मामले में पूरा उत्तर भारत अराजक हो गया है।