हम रहे ना रहे…
ए जिंदगी यूं ना भुला देना हमें कि ये शाम फिर आएगी। हम हो ना हो, दिल में हमारी याद फिर आएगी। जनाज़े पे मेरे यूँ ना आँसू बहाना कि सब तुम्हे दीवाना कहें। हम रहे ना रहे, हवाओ से हमारी खुशबू फिर आएगी।
ए जिंदगी यूं ना भुला देना हमें कि ये शाम फिर आएगी। हम हो ना हो, दिल में हमारी याद फिर आएगी। जनाज़े पे मेरे यूँ ना आँसू बहाना कि सब तुम्हे दीवाना कहें। हम रहे ना रहे, हवाओ से हमारी खुशबू फिर आएगी।
कदम बहकते थे हमारे। ज़माना हमें शराबी कहता था। गुम थे हम किसी के प्यार में। ज़माना हमें तनहा कहता था।
मृत्यु, एक शाश्वत सत्य जिंदगी का। फिर क्यों डरते हो तुम इससे। ये तो नेमत है उस परवरदिगार की। प्यार है उसका। निमंत्रण है तुम्हारे लिए। मिलने का उससे, उससे एकीकार होने का। फिर भी डरते हो। कहते हो बहादुर खुद को। और उस के बुलावे को नकारते हो। ये कैसी फितरत है, ये कैसी…
दिल के टुकड़े कई हुए, फिर भी चैन न आया। खाये धोखे कई बार, फिर भी चैन न आया। गिर गिर कर उठते रहे, उनसे मिलने की आस में तड़पते रहे। वो ना आये, उनकी याद ने ही दिल को करार दिलाया।
हीर तुम थी, रांझा मै बन न सका। शीरी तुम थी, फरहाद मै बन न सका। लैला तुम थी, मँजनू मै बन न सका। सोहनी तुम थी, महिवाल मै बन न सका। मुहब्बत तो की थी तुमसे, इजहार कर न सका। मर भी जाउँ गर तो क्या, तेरे प्यार में था, हूँ और रहूँगा।
वो मेरे स्कूल की किताब में रखा एक गुलाब। स्कूल की बगिया से, सबसे छुपाकर, तोड़ा था मैंने।। किसी को देकर ये गुलाब अपना बनाने की सोची थी। शायद बचपन का भोलापन था, दिल की नादानी थी।। किताबे बदल गई, स्कूल बदल गए, पुराने साथ छूटे, नए रिश्ते बने। आज न तो वो किताब है…
उफ्फ! तेरे लबो पर खेलती ये मुस्कान। गिरा देती है बिजलियां कई दिलो पर। ज़माना कहता है तुझको कातिल। लेकिन तेरी आँखों में तैरता समंदर कोई नहीं देखता।