बचपन में चाचा चौधरी, बिल्लु-पिंकी, पराग, नंदन, लोटपोट, मधु मुस्कान आदि पढ़ते पढ़ते एस सी बेदी कृत ‘राजन इकबाल’ सीरिज के बाल उपन्यास पढने शुरु किये थे. तभी से क्राइम, मर्डर, जासुसी उपन्यासों की ओर झुकाव हो गया. उस समय… Continue Reading →
It’s OK to keep chanting Ahimsa Parmo Dharma, but it’s NOT OK to give two extra days of life to a few animals. It’s OK to call the hanging of a terrorist ‘inhuman’ but it’s NOT OK to give two… Continue Reading →
मोदी जी सारी योजना बंद कर दो। सिफ॔ सांसद भवन जैसी कैंटीन हर दस किलोमीटर पर खुलवा दो। 29 रूपये र्मे भर पेट खाना मिलेगा। सारे लफडे ख़त्म। 80% लोगो को घर चलाने का लफडा खतम। ना सिलेंडर लाना ना… Continue Reading →
बिहार में लोगो ने कहा कि सड़क खराब है तो लालू जी ने कहा कि सड़कों को हेमा मालिनी के गालों की तरह चिकना कर देंगे। देश में लोगो ने कहा कि ट्रेनो की अवस्था खराब है तो मोदी जी… Continue Reading →
Feel suffocated with women equality and empowerment seekers when i see ladies coach empty and ladies demanding to vacate seats in general coach of Delhi metro. Even if the general coach of a delhi metro is crowded the privileged species… Continue Reading →
आजकल फेसबुक (या फंसेबुक) से वास्ता काफी कम हो गया है. होली – दीवाली ही इस बुक को खोलना होता है. ऐसे ही आज खोला तो एक जानकार ने अपनी भावनाओ को कुछ इस तरह से व्यक्त किया हुआ था:… Continue Reading →
तेरह साल की एक बच्ची जिसको कैंसर की दवाई दी गयी. कैंसर तो पुरी तरह ठीक नही हुआ, उल्टा कुल्हे की हड्डीयाँ गल गयी. बढती उम्र की वजह से उसका कुल्हा भी नही बदला जा सकता. पैंतीस वर्षीया एक तलाकशुदा… Continue Reading →
जब मैने क, ख, ग पढ़्ना-लिखना सीखा तब से लेकर मैट्रिक पास करने तक जिस गुरू ने मेरा मार्गदर्शन किया, उस गुरू के पुत्र यानी मेरे गुरू भाई (यह बात अलग है कि वो मुझे अंकल बोलता है, शायद उम्र… Continue Reading →
जापान में Earthquake और सुनामी से हुए ह्र्दय विदारक तांडव के समाचार ने पल भर के लिए सभी के दिल और दिमाग को सुन्न कर दिया. एक्दम से आँखों के सामने 26 दिसम्बर 2004 का वाक्या आ गया. हालॉकि जापान… Continue Reading →
शनिवार का दिन कुछ फुर्सत भरा रहता है. अत: ट्विटर और फेसबुक (या फंसेबुक) पर कुछ ज्यादा समय बिता लेता हुँ. इस विश्व व्यापी संजाल पर कुछ नया ढुंढने की कोशिश करता रहता हुँ. आज इसी तरह संजाल भ्रमण करते… Continue Reading →
“लालच बुरी बला है”, ऐसा कई बार सुना है. आपने भी सुना होगा. फिर भी कुछ लोग लालचवश अपना तो अपना, दुसरों का भी नुकसान कर बैठते हैं. 8-अक्टुबर को किसी कारणवश रांची जाना पडा. 9-अक्टुबर को सुबह रांची पहुँचा…. Continue Reading →
एक मित्र है डा. ज्ञान पाठक, पेशे से पत्रकार और समझ से दार्शनिक एवं डा. की उपाधि चिकित्सक वाली नही वरन डाक्ट्रेट वाली है. अब इन तीनो चीजों (पत्रकारिता, डाक्ट्रेट और दर्शनशास्त्र) का संगम होगा तो सब कुछ अलग हट… Continue Reading →
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