गुम हो तुम
गुम हो तुम अपने ख्यालों में। काश एक नजर हमें भी देख लेते।। कर देते हम इजहार मोहब्बत का। जो तुम एक बार देख लेते।। डर लगता है कि कहीं तुम्हे इल्म भी न हो। और मेरी मोहब्बत रुसवा हो जाए।।
लबों की मुस्कराहट
तेरी आँखो से बहता ये समंदर। छुप ना पाएगा तेरे लबों की मुस्कराहट से।। आ समा लूँ तुझे अपने आगोश में। मेरे दामन को भींगने की आदत सी है।।
थोड़ा ठहर जाओ
थोड़ा ठहर जाओ ऐ सहर कि तन्हाई अभी बाकी है।। थोड़ा ठहर जाओ ऐ हवाओं कि फिज़ा में उनकी खुशबू अभी बाकी है।। थोड़ा ठहर जाओ ऐ बारिश कि आँखो में समंदर अभी बाकी है।। थोड़ा ठहर जाओ ऐ जिंदगी कि उनकी यादें अभी बाकी है।।