कहीं तुम आओ
नींद आती नहीं आजकल। कहीं तुम आओ और मैं सोता ना रह जाऊं।। गर तुम वादा निभाओ सपनो में आने का। दो पल क्या, मैं हमेशा के लिए सो जाऊं।।
नींद आती नहीं आजकल। कहीं तुम आओ और मैं सोता ना रह जाऊं।। गर तुम वादा निभाओ सपनो में आने का। दो पल क्या, मैं हमेशा के लिए सो जाऊं।।
जब से दीदार हुआ तेरा। मयकदे की तरफ कदम नहीं उठते।। जब से सुनी तेरी हँसी की आवाज़। महफिलों की तरफ कदम नहीं उठते।। जब से मोहब्बत हुई तुमसे। इबादतगाह की तरफ कदम नहीं उठते।। जब से हुई तुझे अपना बनाने की चाहत। अपने जनाजे की तरफ कदम नहीं उठते।।
ज़माना कहता है कि नज़र कमजोर है। मैं कहता हूं तेरी तस्वीर बसी है इनमें।। ज़माना कहता है कि ये झुर्रियां हैं। मैं कहता हूं तेरी यादों में गुजारी रातों की गिनती है।। अब तलक इंतजार है तेरे दीदार का। डरता हूं कि इससे पहले सांसें बेवफ़ा न हो जाएं।।
माँगने से मुहब्ब्त नही मिलती, फरियाद करने से दुआ नही मिलती.याद करें क्यों उनको हम. जिनसे हमारी तकदीर नही बनती.
बचपन में चाचा चौधरी, बिल्लु-पिंकी, पराग, नंदन, लोटपोट, मधु मुस्कान आदि पढ़ते पढ़ते एस सी बेदी कृत ‘राजन इकबाल’ सीरिज के बाल उपन्यास पढने शुरु किये थे. तभी से क्राइम, मर्डर, जासुसी उपन्यासों की ओर झुकाव हो गया. उस समय क्राइम, मर्डर, जासुसी उपन्यास लिखने वाले कुछ प्रसिद्ध नाम थे वेद प्रकाश कम्बोज, कर्नल रंजीत,…
तुम्हारे लबों की लाली , तुम्हारे गालों की सुर्खियां, तुम्हारे आँखों की नमी, तुम्हारे अश्कों की गर्माहट, तुम्हारी आवाज की लरज, कुछ भी तो नहीं बदला, बदला है तो सिर्फ… मेरे देखने का अंदाज़।।
सुखे दरख्त की गुमनाम छाँव सा। मेरी मुहब्बत का निशाँ बाकी आज भी है।। पुरानी किताब के पीले पन्नो सा। उसकी यादों का रंग मेरे वजूद पर आज भी है॥ बारिश से धुले कागज पर स्याही के निशाँ सा। उसका वो अक्स याद आज भी है॥ धुंध में लिपटे सुरज की गर्मी सा। उसकी साँसों…
It’s OK to keep chanting Ahimsa Parmo Dharma, but it’s NOT OK to give two extra days of life to a few animals. It’s OK to call the hanging of a terrorist ‘inhuman’ but it’s NOT OK to give two days extra life to a few innocent animals. To give the life of self is…