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तेरे इश्क में फना
तेरे इश्क में फना हो जाता मै, गर उम्मीद का साथ न होता. अभी विरह की रात सही, मिलन की सहर का आगाज़ कभी तो होगा. बाँहों में अपनी तुझे समेट ना सका कभी तो क्या, तेरी मज़ार के पहलु में एक पत्थर मेरे नाम का तो होगा.
तेरे इश्क में फना हो जाता मै, गर उम्मीद का साथ न होता. अभी विरह की रात सही, मिलन की सहर का आगाज़ कभी तो होगा. बाँहों में अपनी तुझे समेट ना सका कभी तो क्या, तेरी मज़ार के पहलु में एक पत्थर मेरे नाम का तो होगा.
इशक भी अज़ीब शै है, सिर पर चढ कर बोलता है। तन्हाई भरी रातों में दिल को टटोलता है।। मेरी हिज्र की ये रातें, काटे नही कटती उनकी याद में। अपनी कहानी किससे कहूँ, सबके दिल में एक शूल है।। ना कोई दोस्त ना कोई रकीब है, जिंदगी बडी अज़ीब है। गले उनको कैसे लगाऊँ,…
कायनात मेरी रकीब तो नहीं। फिर मुझे कयामत की आरजू क्यों है।। मेरे नशेमन से उनकी रूखसत अब तलक याद है। आँखों में अश्क नहीं, फिर लबों पे मुस्कान क्यों है।। कयामत तक साथ रहने का, वादा उनका मुझे अब तलक याद है। क्यों कर बेवफा करार दूँ उन्हें, वो ना सही उनकी याद तो…
ए जमाने ना कर इतना रश्क किस्मत पे हमारी. मुहब्बत तो हमे वो इस जहाँ मे सबसे ज्यादा करते हैं. उसका नाम तन्हाई है, जिसे लोग हमारी महबूबा कहते हैं. हमे उनसे इतनी मोहब्बत हो गयी कि किस्मत को भी रश्क हो आया. ए तन्हाई तुझे क्या हुआ, मेरे प्यार को देख तेरी आँखों में…
कभी उनकी खुशबु तो कभी उनकी यादें समेट लाई। मेरे पास तो मेरी तन्हाई भी कभी तन्हा नही आई॥ रात भर मेरे बिस्तर पर बारिश होती रही, तकिया भीगता रहा। मै अपनी तन्हाई को आगोश में समेटे लेटा रहा॥ सहमी हुई सी मेरी तन्हाई। अपनी मासुम सी ऑखों से मुझे देखती रही।। फिर चुपके से…
आजकल फेसबुक (या फंसेबुक) से वास्ता काफी कम हो गया है. होली – दीवाली ही इस बुक को खोलना होता है. ऐसे ही आज खोला तो एक जानकार ने अपनी भावनाओ को कुछ इस तरह से व्यक्त किया हुआ था: क्युँ तेरे बिन सब्र कर लेते है हमदीवानो सी बेसब्री से मरते है हर पलकुछ…
13 अक्टुबर को बिटिया एक दुर्घटना में घायल हो गयी थी. जिसकी वजह से अक्टुबर में करीब तीन दिन और दिसंबर में करीब पाँच दिन अस्पताल में रहना पडा. अक्टुबर में तो एक दिन गहन चिकित्सा केंद्र में और दो दिन सेमी प्राइवेट कमरें में रहकर गुजर गयें. दिसंबर में सेमी प्राइवेट कमरा उपलब्ध ना…
जब मैने क, ख, ग पढ़ना-लिखना सीखा तब से लेकर मैट्रिक पास करने तक जिस गुरू ने मेरा मार्गदर्शन किया, उस गुरू के पुत्र यानी मेरे गुरू भाई (यह बात अलग है कि वो मुझे अंकल बोलता है, शायद उम्र में अंतर की वजह से) का पहली बार दिल्ली आगमन था. उद्देशय था Combined Defence…
जापान में Earthquake और सुनामी से हुए ह्रदय विदारक तांडव के समाचार ने पल भर के लिए सभी के दिल और दिमाग को सुन्न कर दिया. एकदम से आँखों के सामने 26 दिसम्बर 2004 का वाक्या आ गया. हालॉकि जापान मे हुए नुकसान का पुरा आकलन होना अभी बाकी है. तकनीकी रूप से संपन्न जापान…
शनिवार का दिन कुछ फुर्सत भरा रहता है. अत: ट्विटर और फेसबुक (या फंसेबुक) पर कुछ ज्यादा समय बिता लेता हुँ. इस विश्व व्यापी संजाल पर कुछ नया ढुंढने की कोशिश करता रहता हुँ. आज इसी तरह संजाल भ्रमण करते करते अचानक मल्लिका शेरावत का official वेब साईट सामने आ गया. मुझे मल्लिका शेरावत का…
“लालच बुरी बला है”, ऐसा कई बार सुना है. आपने भी सुना होगा. फिर भी कुछ लोग लालचवश अपना तो अपना, दुसरों का भी नुकसान कर बैठते हैं. 8-अक्टुबर को किसी कारणवश रांची जाना पडा. 9-अक्टुबर को सुबह रांची पहुँचा. जिस काम के लिये गया था वो किया. शाम को वापसी की टिकट वेटलिस्ट से…