पैगाम

पैगाम

तेरे खून से लिखे ये खत, ये आधी फटी तस्वीर जिसमे तुम नहीं हो, ये तेरी जलती चिता की आग। हमारे प्यार का पूर्ण विराम नही, हमेशा के लिए विदाई का पैगाम नही, बेवफा तुम भी नहीं और बेवफा मैं भी नहीं। इंतजार है अब कि कयामत हो, और फिर से तेरे पहलू की गर्माहट…

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तुम फिर मिलोगे

तुम फिर मिलोगे

सोचा था कि खुद को मिटा कर भी तुझे रुसवा न होने देंगे। लेकिन ये पता ना था कि इसके लिए जीना होगा तेरे बिना।। आखिर तेरी यादों के मनके पिरो रखे हैं सांसों की माला में। और एक उम्मीद कि कभी तो तुम फिर मिलोगे जिंदगी की राहों में।।

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एहसास

एहसास

बुतों के इस शहर में चेहरे इतनी तरह के। तेरे चेहरे से ज्यादा खूबसूरत कोई नही।। ज़िंदगी के इस मेले में आवाज़ इतनी तरह की। तेरी आवाज़ से ज्यादा सुरीली कोई नही।। रात दिन के फेरे में एहसास होते हैं इतनी तरह के। तेरे पास होने से ज्यादा प्यारा एहसास कोई नही।।

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कुछ नहीं

कुछ नहीं

खामोशी से जी रहा हूं जिंदगी। कि इसमें तेरी यादों के सिवा अब कुछ नहीं।। ये नज़रे झुकी रहती हैं हमेशा। कि इनमें तेरे अक्स के सिवा कुछ नहीं।। इन लबों से नहीं निकलता कुछ भी। कि इन पर तेरे नाम के सिवा कुछ नहीं।।

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कोई वजह नहीं

कोई वजह नहीं

सर्दी की इन रातों में पहले तुम थी, अब तुम्हारी यादें हैं। वरना मेरे पास मय से बेवफाई की और कोई वजह नहीं।। हर रात ओढ़ के सो जाता हूं तेरी यादों की गर्माहट को। वरना मेरे पास आसमां से दूरी की और कोई वजह नहीं।। तन्हा इस जहां में पहले तुम थी,अब तुम्हारी यादें…

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नाता

नाता

जब से तेरी यादों की गर्मी में खोने लगा हुं। नींद से नाता तोड दिया।। जब से तेरी यादों में डूबने लगा हुं। पैमाने से नाता तोड दिया।।

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यादें

यादें

हौंसला तेरी यादों का। सहारा तेरी यादों का।। इंतजार तेरी यादों का। वादा तेरी यादों का।। धूप तेरी यादों की। छाँव तेरी यादों की।। यादें ही यादें हैं अब तो। तेरी यादों के बिना वजुद क्या मेरा।।

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सावन

सावन

लगी जो आज सावन की झड़ी है। मेरे आंसुओं की हंसी निकली है।। खुल के बहने दो मेरी आँखो को। इसके पानी का रंग सावन से जुदा नहीं।।

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पिया

पिया

पिया के दर्श की आस में बैचेन ये नयन। इन नैनों में बसी तस्वीर तुम्हारी।। पिया से मिलन की आस में बैचेन ये दिल। इस दिल में बसी हर धड़कन तुम्हारी।। पिया से गुफ्तगू की आस में बैचेन ये लब। इन लबों पर सरसराता हर लफ़्ज़ तुम्हारा।। पिया रे पिया, ओ मेरे पिया। मैं भी…

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गुनाहों की सजा

गुनाहों की सजा

वफा करने का गुनाह किया था मैने। तुझे खुदा मानने का गुनाह किया था मैंने।। ना मोहब्बत मिली, ना नफरत मिली। दामन मेरा खाली रहा, मेरे गुनाहों की सजा ऐसी मिली।।

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