थोड़ा ठहर जाओ
थोड़ा ठहर जाओ ऐ सहर कि तन्हाई अभी बाकी है।। थोड़ा ठहर जाओ ऐ हवाओं कि फिज़ा में उनकी खुशबू अभी बाकी है।। थोड़ा ठहर जाओ ऐ बारिश कि आँखो में समंदर अभी बाकी है।। थोड़ा ठहर जाओ ऐ जिंदगी कि उनकी यादें अभी बाकी है।।
सोचा था कि खुद को मिटा कर भी तुझे रुसवा न होने देंगे। लेकिन ये पता ना था कि इसके लिए जीना होगा तेरे बिना।। आखिर तेरी यादों के मनके पिरो रखे हैं सांसों की माला में। और एक उम्मीद कि कभी तो तुम फिर मिलोगे जिंदगी की राहों में।।
I want to cry again.I want to be a child again.Mom and dad, will you come back for me?I want to hide in your lap and sleep again.I want to hug you and cry again.Mom and dad, will you come back for me?I feel tired and want your comfort.I feel scared and want your protection.Mom…
सर्दी की इन रातों में पहले तुम थी, अब तुम्हारी यादें हैं। वरना मेरे पास मय से बेवफाई की और कोई वजह नहीं।। हर रात ओढ़ के सो जाता हूं तेरी यादों की गर्माहट को। वरना मेरे पास आसमां से दूरी की और कोई वजह नहीं।। तन्हा इस जहां में पहले तुम थी,अब तुम्हारी यादें…
वफा करने का गुनाह किया था मैने। तुझे खुदा मानने का गुनाह किया था मैंने।। ना मोहब्बत मिली, ना नफरत मिली। दामन मेरा खाली रहा, मेरे गुनाहों की सजा ऐसी मिली।।