लगी जो आज सावन की झड़ी है। मेरे आंसुओं की हंसी निकली है।। खुल के बहने दो मेरी आँखो को। इसके पानी का रंग सावन से जुदा नहीं।।
सावन

लगी जो आज सावन की झड़ी है। मेरे आंसुओं की हंसी निकली है।। खुल के बहने दो मेरी आँखो को। इसके पानी का रंग सावन से जुदा नहीं।।