बचपन में चाचा चौधरी, बिल्लु-पिंकी, पराग, नंदन, लोटपोट, मधु मुस्कान आदि पढ़ते पढ़ते एस सी बेदी कृत ‘राजन इकबाल’ सीरिज के बाल उपन्यास पढने शुरु किये थे. तभी से क्राइम, मर्डर, जासुसी उपन्यासों की ओर झुकाव हो गया. उस समय क्राइम, मर्डर, जासुसी उपन्यास लिखने वाले कुछ प्रसिद्ध नाम थे वेद प्रकाश कम्बोज, कर्नल रंजीत, ओमप्रकाश शर्मा, परशुराम शर्मा, वेद प्रकाश शर्मा, सुरेंद्र मोहन पाठक. जहाँ तक याद पड़ता है एक कोई कुशवाहा जी भी थे जिनकी क्रांतिकारी आंदोलन पर आधारित सीरिज भी काफी पढ़ी गई थी. इब्ने शफी का जादु धीरे धीरे अंधेरे की ओर बढ़ चला था. कर्नल साहब ओमप्रकाश जी और कम्बोज जी का बोलबाला था. उस समय गुलशन नन्दा और रानू द्वारा लिखे जाने वाले सामाजिक उपन्यास भी काफी बिकते थे. एक शायद बाजपेयी भी थे. लेकिन उनका पुरा नाम याद नही आ रहा.

वेद प्रकाश को पढ़ने वालों का एक अलग वर्ग था जो कि उनकी विजय-विकास सीरीज़ का दीवाना था. लेकिन शर्मा जी तो कुछ हटकर करने में विश्वास रखते थे. उन्होने एक नये प्रयोग के तहत देवकीनन्दन खत्री रचित ‘चंद्रकांता’ और ‘चंद्रकांता संतति’ की तर्ज पर 14 भागों में ‘देवकांता संतति’ की रचना की. उस समय किसी भी उपन्यासकार द्वारा इतने भागों में लिखा जाने वाला यह शायद पहला और इकलौता प्रयोग था. इस प्रयोग ने वेद प्रकाश को एकदम से अग्रिम पंक्ति में लाकर खडा कर दिया. ‘देवकांता संतति’ ने शर्मा जी को जैसे एक अलग ही पहचान दे दी थी. इसके बाद अपने इन्ही प्रयोगों के तहत वेद प्रकाश ने विजय-विकास सीरीज के अलावा केशव-पंडित सीरीज, विभा जिंदल सीरीज, विजय-अलफांसे सीरीज, क्रांतिकारी सीरीज, थ्रिलर सीरीज, और पारिवारिक सीरीज के भी कई उपन्यास लिखे हैं. और तो और आगे चलकर विजय-केशव पंडित सीरीज में उन्होने अपने दो प्रसिद्ध किरदारों विजय और केशव पंडित को भी आमने सामने ला खड़ा किया.

फिर आया ‘कैदी न. 100’ जो कि वेद प्रकाश शर्मा का अपने नाम से छपा सौवां उपन्यास था. इसकी लगभग 2,50,000 प्रतियाँ छपी थी जो उस समय अपने आप में एक रिकार्ड था. इसी दौरान उन्होने एक थ्रिलर लिखा ‘शीशे की अयोध्या’. मेरी याददाशत के मुताबिक यह हिंद पाकेट बुक्स से प्रकाशित वेद प्रकाश शर्मा का पहला उपन्यास था.

इस समय काल में एक सामाजिक उपन्यासकार और उभर रहे थे – रितुराज (ताकि सनद रहे रितुराज का असली नाम ‘सुरेश जैन’ है). वेद प्रकाश और रितुराज ने मिलकर अपना प्रकाशन शुरू किया ‘तुलसी पॉकेट बुक्स’. हालांकि बाद में रितुराज अलग हो गये. याद नही कि उन्होने अपना अलग प्रकाशन शुरू किया या राजनिति में सक्रिय हो गये. बहरहाल शर्माजी के 176 उपन्यासों में से लगभग 70 तुलसी पॉकेट बुक्स ने छापे हैं। उनके प्रकाशित उपन्यासों की पुरी लिस्ट उनके वेबसाइट पर देख सकते हैं.

फिर शर्माजी ‘साढ़े तीन घंटे’ से सामने लाये एक नये किरदार विभा जिंदल को. विभा के किरदार पर ज्यादा उपन्यास तो नही आये परंतु इस किरदार ने पाठकों को प्रभावित करने और उन पर अपनी छाप छोडने में में कोई कसर न रखी. फिर वेद प्रकाश ने रचना की एक नये किरदार की – ‘केशव पंडित’. इसने वेद प्रकाश शर्मा को नयी ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया. बाद में इस किरदार पर, इसी नाम से, एक टीवी सीरियल भी बना जो शायद ज़ी टीवी पर बालाजी टेलीफिल्मस के बैनर तले प्रसारित हुआ. वेद प्रकाश शर्मा के उपन्यासों पर फिल्में भी बनी. 1985 में उनके उपन्यास ‘बहू मांगे इंसाफ’ पर शशिलाल नायर के निर्देशन में ‘बहू की आवाज’ फिल्म बनी। बाद में एक्शन कुमार यानि अक्षय कुमार की फिल्म ‘सबसे बड़ा खिलाड़ी’ उनके उपन्यास ‘लल्लू’ पर आधारित थी. इसके अलावा ‘इंटरनेशनल खिलाड़ी’ फिल्म की पटकथा भी शर्मा जी ने ही लिखी थी.

केशव पंडित के सृजन के बाद शर्मा जी का मन कुछ नया करने के लिये बैचेन था. तभी राजीव गांधी की हत्या हो गयी थी और इस पृष्ठभूमि के साथ जन्म हुआ उनके सफलतम थ्रिलर उपन्यास ‘वर्दी वाला गुंडा’ का. यह सिर्फ वेद प्रकाश शर्मा के लिये ही नही बल्कि पुरे हिंदी उपन्यास जगत के लिये एक मील का पत्थर साबित हुआ. एक अनुमान के मुताबिक ‘वर्दी वाला गुंडा’ की पहले ही दिन देशभर में 15 लाख कॉपी बिक गई थीं और अब तक इस उपन्यास की लगभग 8 करोड़ प्रतियां बिक चुकी हैं।

सामाजिक सारोकार पर लिखे शर्मा जी के कुछ थ्रिलर उपन्यास जैसे ‘बहू मांगे इंसाफ’, ‘क्यूंकि वो बीवियां बदलते थे’,  ‘दहेज़ में रिवाल्वर’ आदि काफी बिके और पसंद किये गये. काफी बाद में शर्मा जी  के सुपुत्र शगुन शर्मा ने भी लेखन की दुनिया में कदम रखा. लेकिन शगुन को पढ़ने का मौका कभी नही मिला.

ऐसी विविधता से भरे, 10 जून 1955 को जन्मे, वेदप्रकाश शर्मा जीवन के रंगमंच से 17 फरवरी 2017 को प्रस्थान कर गये और हमें छोड गये अपनी यादों और किरदारों के साथ.

वेद प्रकाश शर्मा को पुरी तरह जानने के लिये उनके रचे किरदारों को जानना जरूरी है. तो आइये ले चलता हूँ आपको इस छोटी सी परिचय यात्रा पर.

विजय – भारत की सबसे बड़ी जासूस कंपनी ‘भारतीय सीक्रेट सर्विस’ का जाबांज जासूस एवं भुतपुर्व चीफ. फील्ड में ज्यादा काम होने और एकशन में मजा आने के कारण किसी और को चीफ का पद दे दिया. हालांकि समय आने पर चीफ की आवाज़ में अन्य मेंबरों को निर्देश दे देता है. दुनिया की नज़रों में एक नालायक बेटा. नालायक इसलिये क्योंकि उसकी असलियत किसी को नही पता.

विकास – विजय का भांजा, सबसे जवान भारतीय सीक्रेट एजेंट. खूबसूरत लेकिन दुश्मनों को मिनट में मार गिराने का हौसला रखने वाला लड़का. दोस्तों का दोस्त और दुश्मनो के लिये दरिंदा. देश के दुश्मनो को ब्लेड से चीर फाड कर रख देने का शौकीन. विजय, अलफांसे और जैकी से ट्रैनिंग प्राप्त.

अलफांसे – एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय अपराधी जिसकी तलाश हर देश की पुलिस को है। दावा करता है कि दुनिया की कोई भी जेल उसे उसकी मर्ज़ी के बिना कैद नहीं रख सकती। विकास को बहुत से गुर सिखाकर उसका गुरू का खिताब भी हासिल किया है. पैसों की खातिर कुछ भी कर गुजरने वाला. एक उपन्यास में तो विजय के मर्डर का प्लान भी कर चुका है.

हैरी – विकास का दोस्त. अमेरिकन सीक्रेट सर्विस का एजेंट. विजय – विकास का गुरू  जैकी और जूलिया का बेटा

जैकी — जासूसों का देवता, कलयुग का द्रोणाचार्य. जासूसी सीखाने का एक ट्रैंनिंग सेंटर चलाता है और देश विदेश के लड़को को जासूसी की ट्रेनिंग देता है.

जूलिया – जैकी की पत्नी, हैरी की माँ लेकिन हुनर के मामले में जैकी से दो कदम आगे. अमेरिकन सीक्रेट सर्विस की चीफ़.

सिंगही – एक सनकी वैज्ञानिक. इसकी सबसे बड़ी सनक या सपना है दुनिया पर हुकूमत करना. अपने ज्ञान के बल पर कई बार विश्व विजेता बनने के बहुत करीब पहुँच गया. इसका सबसे बड़ा दुश्मन है विजय. क्योंकि यही हर बार उसके सपने को चूर चूर कर देता है.

वतन – शांति का मसीहा. हमेशा सफेद कपड़े पहनता है. सिंगही जैसे हिंसक शख्स का ऐसा शिष्य जो अहिंसा का पुजारी है. इसके साथ इसका एक बकरा भी रहता है. अमेरिका जैसे देश से एक बूँद भी खून बहाये बिना जीतने वाला शख्स है वतन.

ब्लैक बॉय – भारतीय सीक्रेट सर्विस का चीफ जिसकी असलियत उसके एजेंट तक नही जानते. पहले विजय इस पद पर था लेकिन बाद में उसने फील्ड में उतर कर अपना पद किसी और के हवाले कर दिया था. अकेले में विजय को सर कहता है.

ठाकुर निर्भयसिंह –राजनगर शहर के आईजी, विजय के पिता और विकास के नाना.

रघुनाथ –  राजनगर के सुपरिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस एवं विकास के पिता.

रैना – रघुनाथ की पत्नी, विकास की माँ, अलफांसे की मुह्बोली बहन.

नुसरत – तुगलक – पाकिस्तानी सीक्रेट सर्विस कें एजेंट. दुशमन को अपनी मुर्खतापुर्ण दिखावे वाली बातों में उलझाकर काबु में कर लेते हैं. लेकिन हर मिशन में विजय विकास से हारते हैं.

केशव पंडित – बिना एलएलबी की परीक्षा पास किये किसी भी वकील क़ो नाक़ो तले चने चबवा देता है. दस साल की उम्र से पैंतीस साल की उम्र तक कानून और केवल कानून की किताबे पड़ता रहा. कानून का एसा माहिर कि कानून के बड़े बड़े पंडित उसके कृत्य को अपराध ही साबित नहीं कर पाते. एक दर्दनाक कहानी से भरा है इसका बचपन.

विभा जिंदल – वेद प्रकाश शर्मा की दोस्त, जिंदल पुरम की महारानी, पेशेवर डिटेक्टिव तो नहीं लेकिन किसी से कम भी नही. ‘साढ़े तीन घंटे’ से सबसे रूबरू हुई इस किरदार ने, पहले ही केस में, अपने पति हत्यारों को खोज निकाला और उनको सजा दी.